परिप्रेक्ष्य : पैट्रिक मोदियानो से हेलेन हेर्नमार्क की बातचीत



















" मैं 45 साल से एक ही किताब को रुक-रुक कर लिख रहा हूँ.."   
पैट्रिक मोदियानो

(2014 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार की घोषणा के बाद, फ्रांसीसी भाषा के उपन्यासकार पैट्रिक मोदियानो से नोबेल मीडिया की तरफ से की गयी हेलेन हेर्नमार्क की बातचीत का हिंदी अनुवाद सरिता शर्मा ने किया है. 69 वर्षीय पैट्रिक मोदियानो 15 वें फ्रांसीसी लेखक हैं जिनकों यह सम्मान मिला है. उन्हें लगभग 6 करोड़ 80 लाख रूपये मिलेंगे.)


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ll पैट्रिक मोदियानो से हेलेन हेर्नमार्क की बातचीत ll
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पैट्रिक मोदियानो : हैलो.       

हेलेन हेर्नमार्क : हाँ, हैलो, आपको नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने पर तहेदिल से बधाई.

पैट्रिक मोदियानो : आपकी कृपा है और मैं बहुत भावुक हो रहा हूँ.

हेलेन हेर्नमार्क :  मेरा नाम हेलेन है और मैं नोबेल प्राइज की वेबसाइट से बोल रही  हूँ. हमें आपसे कुछ सवाल पूछने के लिए समय देने के लिए धन्यवाद.

पैट्रिक मोदियानो : ओह, हाँ, हाँ, हाँ.

हेलेन हेर्नमार्क :  जब खबर मिली तो आप कहाँ थे?

पैट्रिक मोदियानो : मैं रास्ते में था. हाँमैं सच में रास्ते में था. मेरी बेटी ने मुझे यह खबर सुनाई.

हेलेन हेर्नमार्क : ओह आपकी बेटी ने आपको मोबाइल पर बताया?

पैट्रिक मोदियानो : हाँ, हाँ, हाँ. मैं बहुत भावुक हो गया था. मैं इस बात से और भी खुश हूँ कि मेरा एक नाती स्वीडिश है.

हेलेन हेर्नमार्क : आप कहाँ थे? पेरिस के बीचों- बीच? कौन से मार्ग पर थे ?

पैट्रिक मोदियानो : ओह, मैं बस जारदैं द लक्समबर्ग के बगल में था.

हेलेन हेर्नमार्क : अरे, वाह. आपके लिए नोबेल पुरस्कार मिलना क्या मायने रखता है, उसका क्या महत्त्व है?

पैट्रिक मोदियानो : सबसे पहले ... तो इतना अप्रत्याशित, मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह पुरस्कार कभी मुझे मिलेगा. इसने मुझे सच में भावविभोर कर दिया है.. मुझे बहुत भावुक बना दिया है.

हेलेन हेर्नमार्क : आप लंबे समय से लेखक रहे हैं. आप क्यों लिखते हैं?

पैट्रिक मोदियानो : हाँ, मैंने  बहुत जल्दी बीसेक साल की उम्र से लिखना शुरू कर दिया था. अब बहुत लंबा अरसा हो गया है. यह कुदरती है, एक तरह से मेरे जीवन का हिस्सा है.

हेलेन हेर्नमार्क : आपने 20 या 30 किताबें लिखी है. क्या ऐसी कोई विशेष पुस्तक है जो आपको बहुत प्रिय है, आपके लिए औरों से अधिक महत्त्वपूर्ण है?

पैट्रिक मोदियानो : देखिए, ऐसा करना मुश्किल है. मुझे हमेशा यह लगता है कि मैं एक ही किताब लिख रहा होता हूँ. इसका मतलब है कि मैं 45 साल से एक ही किताब को रुक रुक कर लिख रहा हूँ. हमें सच में अपने पाठक का पता नहीं होता  है.

हेलेन हेर्नमार्क : अब आप दुनिया भर में मशहूर हो गए हैं तो अपनी कौन सी किताब पढने की सिफारिश सब पाठकों से करेंगे?

पैट्रिक मोदियानो:  हाँ, मुझे हमेशा महसूस होता है कि वह मेरी लिखी पिछली किताब है.

हेलेन हेर्नमार्क : उसका नाम क्या है?

पैट्रिक मोदियानो : उसका नाम है पुर कै तू न त पेर्द पा दां ल कार्तिए.

हेलेन हेर्नमार्क : पुर कै तू न त पेर्द पा दां ल कार्तिए.?

पैट्रिक मोदियानो : हाँ. पुर कै तू न त पेर्द पा दां ल कार्तिए. यह अपने आस पड़ोस में परिप्रेक्ष्य खो देने के बारे में है. मैं हमेशा पिछली किताब का सुझाव देता हूँ क्योंकि वह आपको ,,,छोड़ देती है.

हेलेन हेर्नमार्क : और आगे पढने की उत्सुकता के साथ?

पैट्रिक मोदियानो : हाँ, हाँ. .

हेलेन हेर्नमार्क : आप आज रात पूरे परिवार के साथ जश्न मनाने के लिए जा रहे होंगे?

पैट्रिक मोदियानो : हाँ, हाँ, मैं अपने परिवार के साथ होना चाहता हूँ. हाँ. और अपने  स्वीडिश नाती के साथ जिससे मिलकर मैं बहुत खुश होता हूँ और वह मुझे बहुत प्यार करता है. यह मैं यह पुरस्कार उसे समर्पित करता हूँ. आखिरकार यह उसके देश से है.

हेलेन हेर्नमार्क : तो आप दिसंबर में स्वीडन आ रहे हैं?

पैट्रिक मोदियानो : हाँ, हाँ, जरूर!

हेलेन हेर्नमार्क : पूरे परिवार के साथ?

पैट्रिक मोदियानो : हाँ, हाँ. (हंसते हुए)

हेलेन हेर्नमार्क : क्या आपका परिवार बहुत बड़ा है

पैट्रिक मोदियानो : नहीं, ऐसा नहीं है, मेरी सिर्फ दो बेटियां और एक नाती है. इसलिए बड़ा परिवार नहीं है.
हेलेन हेर्नमार्क : शुक्रिया और आपको एक बार फिर से बहुत- बहुत बधाई.

पैट्रिक मोदियानो : शुक्रिया. उम्मीद करता हूँ मैंने आपको जो बताया वह ज्यादा भ्रामक तो नहीं है न?

हेलेन हेर्नमार्क: नहीं, नहीं, बिल्कुल नहीं. शानदार शाम बिताएं और एक बार फिर से स्वीडन और  नोबेल प्राइज वेबसाइट कि तरफ से हार्दिक बधाई.

पैट्रिक मोदियानो :ओह, मैं बहुत भावुक हो गया हूँ)

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सरिता शर्मा
उपन्यास, समीक्षा और अनुवाद

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  1. अरुणजी शुक्रिया. पैट्रिक मोदियानो की इस बातचीत से वह बहुत सहज और संकोची लेखक लगते हैं. अपनी लेखन प्रक्रिया के बारे में कितने सरल तरीके से बताया है और यह भी कि उन्हें पुरस्कार मिलने की आशा नहीं थी. हमारे यहाँ के अधिकांश औसत दर्जे के लेखन के बावजूद पुरस्कारों के लिए जोड़तोड़ को देखकर स्पष्ट होता है कि हम उस ऊंचाई तक क्यों नहीं पहुँच पाए हैं. अपना काम लगन और ईमानदारी से करते रहें, तो सफलता और पुरस्कार खुद चलकर द्वार तक आयेंगे.

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