सबद भेद : कबीर का घर और देश : सदानन्द शाही
![]() |
फोटो द्वारा श्री हरि |
___________________________________________________________
नामवर सिंह : भारतीय पुनर्जागरण/ अशोक वाजपेयी : शमशेर : प्रेम की असंभावना/ विष्णु खरे : मुक्तिबोध की पत्रकारिता/जगदीश चतुर्वेदी : साहित्य और हाइपर टेक्स्ट/ बटरोही : चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
संजीव : अस्सी का काशी/ नन्द भारद्वाज : अज्ञेय/नामवर सिंह/भगवत रावत/ केदार नाथ अग्रवाल/मुक्तिबोध
गोपाल प्रधान : भूमंडलीकरण और भारत /पूर्वोत्तर और हिंदी
ओम निश्चल : लीलाधर मंडलोई /कविता में वसंत और प्रेम /पुस्तक परिदृश्य २०१३/कविता इस साल / अशोक वाजपेयी/केदारनाथ सिंह/युवा कविता परिदृश्य/किताबें - २०१४
सदानंद शाही : कबीर / कबीर की कविता/कबीर का घर
प्रेमचंद गाँधी : उदय प्रकाश की कहानियाँ
रोहिणी अग्रवाल : साहित्य और यथार्थ/ तसलीमा नसरीन
गणेश पाण्डेय : कविता और आलोचना / आलोचना क्या नहीं है
अशोक कुमार पाण्डेय : शमशेर/मोहन डहेरिया/सविता सिंह/नाकोहस
सुशील कृष्ण गोरे : अनुवाद की संस्कृतियाँ
सुबोध शुक्ल : त्रिलोचन
राकेश श्रीमाल : शर्मिला इरोम
मुकेश मानस : हिंदी कविता की तीसरी धारा
आशुतोष भारद्वाज : अज्ञेय और मैं/ अशोक वाजपेयी
शिरीष कुमार मौर्य : कुंवर नारायण/ रघुवीर सहाय
सर्वेश सिंह : रामचरितमानस / निर्मल वर्मा
मदनपाल सिंह : समकालीन फ्रेंच कविता
अरुण देव : मार्कण्डेय /उपनिवेश और हिंदी कहानी /फैज़ /भारतेंदु
राकेश बिहारी : आत्महंता राजेन्द्र यादव
राजीव रंजन : सूत्रधार/ अनामिका
कुमार मुकुल : आलोक धन्वा की कविता
पुष्पिता अवस्थी : सांस्कृतिक आतंकवाद
पंकज पराशर :रामचरितमानस/दस्तम्बू
अनुराधा : भाषा की लैंगिकता
अविनाश मिश्र : औपन्यासिक काव्यत्मक
राहुल राजेश : राजभाषा हिंदी/ समकालीन कविता/ हिंदी में कामकाज
गरिमा श्रीवास्तव : आचरण पुस्तकें और स्त्रियाँ
प्रभात रंजन/गौरव सोलंकी : गिरिराज किराडू
सनी लिओने से खड़े होते सवाल/ क्या दिलीप और अमिताभ बराबर हैं/ शर्ली एब्दो और पीके/गालियां खा के बेमज़ा न हुआ/ ईदा/ एक छपे रिसाले के लिए विलम्बित मर्सिया/ भाई अभी ज़मानती मुजरिम है/ दीपन/ भय भी हमें चूहा बना देता है/सत्ता -एक्टर - मीडिया भगवान/ साहित्य अकादेमी का संकल्प/ किसके घर जाएगा सैलाबे बला/ जन्मशती की भ्रूण हत्या/ कुछ भी अशुभ नहीं मंगली में/ वीरने डंगवाल/ दि बर्थ ऑफ़ ए नेशन’//विश्व हिंदी सम्मेलन//भीष्म साहनी/ अजहरुद्दीन की जीवनी/ किशोर साहू/सईद ज़ाफरी/पवन मल्होत्रा /सिनेमा का रेआलपोलिटिक वर्ष/ असहिष्णुता
भूमंडलोत्तर कहानी की विवेचना
![]() |
फोटो द्वारा श्री हरि |
कबीर जहाँ ले जाना चाहते हैं वो बाह्य यात्रा नहीं है. बाहर तो समाज है, संसार है, नियम है, क़ानून है, अभिमान है, अपमान है, मोह है, माया है. जिस चौबारे बैठ कर ये प्यारा आदमी बतियाता है वहाँ है केवल इश्क़ मस्ताना.
हमन हैं इश्क़ मस्ताना हमन को होसियारी क्या.
जिस गले राम की जेवड़ी पड़ी हो उस पियारे को दुनिया की रवायतों से कोई खौफ नहीं ..बाबू तेरा प्यारा फ़कीर चदरिया ज्यों की त्यों छोड़ गया दुनिया के लिए ..मैं भी गा लूँ तेरे साथ... हमन हैं इश्क़ मस्ताना हमन को होसियारी क्या. इसी चौबारे पर..
जरुरी लेख . शुक्रिया समालोचन .
इसे पढ़ना एक धुले साफ दिमाग की यात्रा में जाकर अंतस की पड़ताल करना ,